Psalms 129

सिय्योन के शत्रुओं पर विजय का गीत

यात्रा का गीत

1इस्राएल अब यह कहे,
“मेरे बचपन से लोग मुझे बार-बार क्लेश देते आए हैं,
2मेरे बचपन से वे मुझ को बार-बार क्लेश देते तो आए हैं,
परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।
3हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया*,
और लम्बी-लम्बी रेखाएं की।”

4यहोवा धर्मी है; उसने दुष्टों के फंदों को काट डाला है;
5जितने सिय्योन से बैर रखते हैं,
वे सब लज्जित हो, और पराजित होकर पीछे हट जाए!

6वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहले सूख जाती है;
7जिससे कोई लवनेवाला अपनी मुट्ठी नहीं भरता*,
न पूलियों का कोई बाँधनेवाला अपनी अँकवार भर पाता है,
8और न आने-जाने वाले यह कहते हैं,
“यहोवा की आशीष तुम पर होवे!
हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!”

Copyright information for HinULB